शारदीय नवरात्रि में कब किस देवी की होगी पूजा II इस बार घटस्थापना पर बन रहा है विशेष योग II 17 अक्टूबर से नवरात्रा प्रारम्भ





इस समय अधिकमास चल रहा है. अधिमास के कारण इस बार एक महीने देरी से नवरात्र शुरू होगा. शारदीय नवरात्रि का पर्व इस साल 17 अक्टूबर से शुरू हो रहा है. वहीं, इस बार घटस्थापना पर विशेष संयोग बन रहा है. हिन्दू पंचांग के अनुसार, अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शारदीय नवरात्रि शुरू होती है. इस बार ये तिथि 17 अक्टूबर को है.

 

घटस्थापना का मुहूर्त

प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ अक्टूबर 17, 2020 को 01:00 एएम

प्रतिपदा तिथि समाप्त- अक्टूबर 17, 2020 को 09:08 पीएम

आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि, यानी 17 अक्टूबर को घट स्थापना मुहूर्त का समय प्रात:काल 06:27 बजे से 10:13 बजे तक का है. अभिजित मुहूर्त प्रात:काल 11:44 बजे से 12:29 बजे तक रहेगा.

 

शारदीय नवरात्रि घटस्थापना

घटस्थापना या कलश स्थापना का नवरात्रि में विशेष महत्व है. इसे नवरात्रि के पहला दिन किया जाता है. शुभ मुहुर्त में घट स्थापना पूरे विधि-विधान के साथ की जाती है. शास्त्रों के अनुसार, कलश को भगवान गणेश की संज्ञा दी गई है.

 

जानिए किस दिन किस देवी की होगी पूजा

17 अक्टूबर- मां शैलपुत्री पूजा, घटस्थापना

 

18 अक्टूबर- मां ब्रह्मचारिणी पूजा

 

19 अक्टूबर- मां चंद्रघंटा पूजा

 

20 अक्टूबर- मां कुष्मांडा पूजा

 

21 अक्टूबर- मां स्कंदमाता पूजा

 

22 अक्टूबर- षष्ठी मां कात्यायनी पूजा

 

23 अक्टूबर- मां कालरात्रि पूजा

 

24 अक्टूबर- मां महागौरी दुर्गा पूजा

 

25 अक्टूबर- मां सिद्धिदात्री पूजा

 

नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की होती है पूजा

पहला दिन मां शैलपुत्री पूजा करने का विशेष महत्व है. यह देवी दुर्गा के नौ रूपों में से प्रथम रूप है. मां शैलपुत्री चंद्रमा को दर्शाती हैं और इनकी पूजा से चंद्रमा से संबंधित दोष समाप्त हो जाते हैं.

 

दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी पूजा होती है. ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार देवी ब्रह्मचारिणी मंगल ग्रह को नियंत्रित करती हैं. देवी की पूजा से मंगल ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं.

 

तीसरा दिन मां चंद्रघंटा की पूजा होती है. देवी चंद्रघण्टा शुक्र ग्रह को नियंत्रित करती हैं. देवी की पूजा से शुक्र ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं.

 

चौथा दिन मां कूष्मांडा पूजा होती है. मां कूष्माण्डा सूर्य का मार्गदर्शन करती हैं अतः इनकी पूजा से सूर्य के कुप्रभावों से बचा जा सकता है.

 

पांचवा दिन मां स्कंदमाता पूजा होती है. देवी स्कंदमाता बुध ग्रह को नियंत्रित करती हैं. देवी की पूजा से बुध ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं.

 

छटवा दिन मां कात्यायनी की पूजा होती है. देवी कात्यायनी बृहस्पति ग्रह को नियंत्रित करती हैं. देवी की पूजा से बृहस्पति के बुरे प्रभाव कम होते हैं.

 

सातवा दिन मां कालरात्रि की पूजा होती है. इस दिन पूजा करने पर देवी कालरात्रि शनि ग्रह को नियंत्रित करती हैं. देवी की पूजा से शनि के बुरे प्रभाव कम होते हैं.

 

आठवां दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है. देवी महागौरी राहु ग्रह को नियंत्रित करती हैं. देवी की पूजा से राहु के बुरे प्रभाव कम होते हैं.

 

नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. इस दिन पूजा करने पर देवी सिद्धिदात्री केतु ग्रह को नियंत्रित करती हैं. देवी की पूजा से केतु के बुरे प्रभाव कम होते हैं.

 

नवरात्रि में नौ रंगों का महत्व

नवरात्रि के समय हर दिन का एक रंग तय होता है. मान्यता है कि इन रंगों का उपयोग करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है.

 

प्रतिपदा- पीला

 

द्वितीया- हरा

 

तृतीया- भूरा

 

चतुर्थी- नारंगी

 

पंचमी- सफेद

 

षष्टी- लाल

 

सप्तमी- नीला

 

अष्टमी- गुलाबी

 

नवमी- बैंगनी


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